नेतृत्व Leadership




नेतृत्व

नेतृत्व Leadership के तीन महत्वपूर्ण भाग -

(1) अनुदेशकीय नेतृत्व - Instructional leadership
(2) संकाय नेतृत्व     Facully leadership
(3) परिचालन नेतृत्व  -  Operating  leadership

1. अनुदेशकीय नेतृत्व: -
   वार्षिक पाठ्यचर्या योजना -
1. विद्यालय का लक्ष्य निर्धारण । 
2. विद्यार्थी के सीखने की जरुरत । 
3. पिछला अभ्यास कराना ।
4. आचार्य की तैयारी का समय निर्धारण।
5. अध्ययन एवं अध्यापन में नवाचार का समावेश ।
6. वुनियादी ढाँचा एवं सुविधाऐं ।
7. सतत समग्र मूल्यांकन का निरंतर आयोजन।
8. राज्य की आवश्यकताऐं।
9. स्थानीय यातायात एवं परिवहन के मुद्दे।
10. बाहरी संसाधन का विचार।
11. कक्षा 1 से 5वीं के लिए 200 शैक्षिक दिवस।  (वर्ष में न्यूनतम 800 घंटे शिक्षण कार्य हेतु )
12. कक्षा 6 से 12वीं के लिए 200 शैक्षिक दिवस। (वर्ष में न्यूनतम 1000 घंटे शिक्षण कार्य हेतु )
13. एक आचार्य प्रति सप्ताह 45 घंटे काम करेगा। इसके अन्तर्गत शिक्षण एवं स्वयं तैयारी का समय भी शामिल  है।
14. विद्यालय प्राचार्य प्रति सप्ताह 12 से 15 कालांश शिक्षण में व्यय करेगा।
15. कमजोर छात्रों के सुधार के लिए प्रत्येक आचार्य विद्यालय समय पूर्व या वाद में प्रति सप्ताह 6 से 7 घंटे  खर्च करेगा । प्रतिभाशाली छात्रों का विकास भी हो।
16. विद्यालय सभी छात्रों की रुचि, क्षमता एवं योग्यता के आधार पर सह पाठ्यक्रम एवं बाहरी गतिविधियों का  आयोजन करेगा।
17. प्राथमिक कक्षाओं के लिए समय सारिणी में सप्ताह में कम से कम 3 कालांश सह पाठ्यक्रम गतिविधि के  लिए निर्धारित हो।
इसमें निम्न गतिविधियाँ शामिल हो -
             (क) खेल एवं शारीरिक शिक्षा 
             (ख) संगीत, कला, शिल्प ।
             (ग) नृत्य, नाटक, वाग्मिता।
             (घ) मूल्यशिक्षा, वार्ता, प्रदर्शन।
             (ड़) पुस्तकालय, शैक्षिक यात्रा।
             (च) पर्यावरण, जागरुकता कार्यक्रम।
             (छ) उत्सव, जयंती एवं वार्षिक उत्सव।
             (ज) विशेष दिवस आयोजन-विज्ञान, गणित, हिन्दी, शिक्षक दिवस आदि।

कक्षा 6वीं से 12वीं के छात्रों को समय सारिणी में सप्ताह में तीन अवसर निम्न पाठ्य सहगामी गतिविधियों के   लिये निर्धारित हो:-
             (1) खेल एवं शारीािक।
             (2) संगीत, नृत्य, नाटक।
             (3) चित्रकला, मर्तिकला।
             (4) योग एवं मूल्य शिक्षा।
             (5) भाषण एवं वादविवाद ।
             (6) पुस्तकालय एवं सामान्यज्ञान।
             (7) मूल्य शिक्षा एवं कार्यानुभव (स्काउट्स, एन.एस.एस., एन.सी.सी आदि)
             (8) रेडियो सबक, टी.वी.दर्शन, वार्ता, प्रदर्शन।
             (9) प्रदर्शनी एवं शैक्षिक यात्रा।
             (10) वार्षिक उत्सव एवं विशेष दिवस आायोजन।

प्रार्थना सभा का आयोजन:-
             विद्यालय प्रतिदिन प्रार्थना सभा का आयोजन करेगा। इसमें निम्न गतिविधियाँ अनिवार्यतः शामिल हों-
             (1) विद्यालय गीत का गायन (वार्षिक-हिन्दी/भाषायी गीत) ।
             (2) राष्ट्रीय गीत एवं राष्ट्र्रगान का गायन।
             (3) प्रार्थना एवं वंदना गायन।
             (4) प्रेरक कहानी, प्रयोग, वार्ता, समाचार आदि।
             (5) आवश्यक घोषणाऐं एवं सूचनाऐं।
             (6) आवश्यक शारीरिक व्यायाम एवं योग।
             (7) विशेष दिनों पर 30 मिनट तक के छोटे कार्यक्रम करना।
             (8) आचार्यो एवं छात्रों को सम्मानित करना।

वार्षिक मूल्यांकन योजना-
             (1) विद्यालय प्रत्येक कक्षा के लिए वर्ष में दो प्रमुख परीक्षाओं का आयोजन करेगा।
             (2) विद्यालय प्रत्येक कक्षा के लिए मासिक परीक्षण एवं शैक्षणिक तथा सहशैक्षणिक क्षेत्रों में ब्ब्म् परीक्षाऐं               आयोजित करेगा।
             (3) मूल्यांकन का आधार निम्न हो सकता है -
                             (क) नैतिक मूल्य    (ख) पर्यावरण के प्रति दृष्टिकोण   (ग) भावनात्मक कौशल
                             (घ) सामाजिक कौशल (ड़) रचनात्मक साहित्य गतिविधियाँ (च) समस्या समाधान एवं निर्णय कौशल
                             (छ) चिंतन कौशल    (ज) वैज्ञानिक गतिविधियाँ     (झ) बागवानी
                             (ण) संगीत         (ट) लोककला                     (ठ) श्रमदान
                             (ड) खेल एवं योग
            
(4) विद्यालय प्राचार्य मूल्यांकन की सम्पूर्ण निगरानी करेगा।

विद्यार्थी का उपलब्धि अनुकूलन:-        
विद्यालय प्राचार्य गत प्रदर्शन को ध्यान में रखकर शैक्षिक एवं सहशैक्षिक उपलब्धियों के लिए भविष्य के लक्ष्य    तय कर  कार्ययोजना बनायेगा एवं इसके लिए आचार्यो एवं छात्रों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें आयोजित   करेगा। । बैठकों के विषय निम्न हो सकतें हैः-
             (1) प्रत्येक कक्षा का न्यूनतम उपलब्धि स्तर।    (2) बोर्ड परीक्षा परिणाम।
             (3) छात्रवृत्ति परीक्षा परिणाम।                (4) प्रतियोगी परीक्षा की सफलता ।
             (5) प्रदर्शनी में हिस्सेदारी/मेजवानी ।    (6) पर्यावरण संरक्षण संवंधित कार्यक्रमों में सहभागिता।
             (7) राष्ट्रीय स्तर खेल/ ैण्ळण्थ्ण्प्ण् मे सहभागिता।   (8) राष्ट्रीय बौद्धिक एवं विज्ञान मेला हिस्सेदारी।

प्राचार्य उपलब्धि के आधार पर प्रशंसा प्रणाली विकसित करेगा।इसके अन्तर्गत प्रशंसा निम्न रुपों में हो सकती है           
(1) प्रशंसा के शब्द या पत्र    (2) बुलेटिन बोर्ड में प्रदर्शन     (3) अभिनन्दन समारोह  (4) प्रमाण पत्र
             (5) ट्राॅॅफी, स्मृति चिन्ह      (6) विद्यालय पत्रिका में उल्लेख (7) प्रेस नोट्स
संस्था प्रमुख का स्वविकास:-
             निम्न गुणों के कारण स्कूल प्राचार्य अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता को बनाये रखेगा और दूसरों के लिए आदर्श स्थापित करेगा:-
             (1) विषय ज्ञान पर पांडित्य। अध्यापन कला में महारत ।
             (2) परिचालन एवं सामान्य जागरुकता कौशल।
             (3) ज्ञान का उन्यन करने हेतु निरंतर अभ्यास एवं स्वाध्याय।
             (4) शिक्षण-प्रशिक्षण में शामिल होकर अध्यापन अभ्यास।
             (5) अनुसंधान गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी।
             (6) शोध पत्रिकाओं एवं कार्यशालाओं तथा सम्मेलनों में योगदान।
             (7) नीतियाँ बनाने में भागीदारी।
             (8) पुरुस्कार, फैलोशिप जैसी पेशेवर उपलब्धि ।
 
2. संकाय नेतृत्व (आचार्य विकास):-
             1. विद्यालय वष में एक बार आचार्यो/शिक्षकों का मूल्यांकन करेगा। इसका आधार निम्न हो सकता है-
                             (क) स्वमूल्याकंन ।   (ख) सहकर्मी मूल्यांकन ।     (ग) प्राचार्य द्वारा मूल्यांकन ।
             2. विद्यालय आचार्यो को व्यवसायिक विकास कार्यक्रम सहभागिता हेतु प्रोत्साहन।
             3. प्रशिक्षण सहभागिता को प्रोत्साहन।
             4. इन्टरनेट सुविधा साप्ताहिक 1 घंटे उपयोग हेतु प्रोत्साहन।
             5. आचार्यो की प्रशंसा एवं सम्मान।
                           (क) प्रशंसा शब्द/पत्र         (ख) बुलेटिन बोर्ड मे प्रदर्शन   (ग) अभिनन्दन समारोह
                            (घ) प्रमाण पत्र             (ड़) ट्राॅफी एवं स्मृति चिन्ह   (च) विद्यालय पत्रिका में उल्लेख
                            (छ) प्रोत्साहन एवं प्रेस नोट्स
             6. प्राचार्य नियमित रुप से आचार्य स्टाफ के साथ बातचीत करेगा।
             7. प्राचार्य प्रतिमाह कर्मचारियों के साथ बैठक करेगा इस बैठक में निम्न विषय हो सकते हैं-
                             (क) आगामी घटनाऐं एवं कार्यक्रम (दैनिक अपडेट्स)     (ख) नीतिगत फैसलें ।
                             (ग) अनुशासनात्मक मुद्दे।                   (घ) विशेष निर्देश। समस्या समाधान।
                             (ड़) शिक्षा में वर्तमान विकास एवं नवाचार।
             बैठक में व्यक्तिगत सलाह, कोचिंग, तरीके, योजना एवं विश्लेषण भी हो।

3. परिचालन(संचालन) नेतृत्व:--

1. विद्यालय प्राचार्य एक परिचालन प्रणाली विकसित करेगा। इसमें निम्न विषय समाहित हों ।
             (क) मानव संसाधन         (ख) प्रबन्धन        (ग) लेखा सुविधा (घ) रखरखाव
             (ड़) रक्षा-सुरक्षा       (च) वाह्य सहयोग
2. जिम्मेदारियों का स्पष्ट परिभाषीकरण एवं निगरानी ।
3. निरंतर गुणवत्ता सुधार हेतु आचार संहिता।
4. विकास योजना-वार्षिक बजट प्रस्ताव।
5. समिति के समक्ष बजट आवंटन प्रभावी प्रतिनिधित्व।
6. अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक जरुरतों को ैडब् के समक्ष नियमित रखना।
7. हितग्राहियों के साथ निरंतर सहयोग करना।
8. वाहय विश्व के समक्ष विद्यालय का प्रतिनिधित्व करना।
9. स्कूल को बढ़ावा देने के लिए मीडिया के साथ सम्बन्ध बनाये रखना।

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