Friday, May 18, 2018

मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग कटक (उड़ीसा)

विद्याभारती-SMF-SESQ असेस्मेन्ट
मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग कटक (उड़ीसा)
दिनांक - 07 मार्च से 09 मार्च 2017

महत्वपूर्ण तथ्य एवं निर्णय

 प्रथम कालांश:-
  प्रस्तावना - सौ. मीनल बहिन
1. बी.जे.एस एवं एस.एफ.एफ. के संस्थापक श्री शांतिलाल मुत्था - फाउण्डेशन का असेस्मेन्ट एवं एस.ई.एस.क्यू. हेतु विद्याभारती संस्था के साथ अनुबंध हुआ है। आने वाले समय में असेसर्स को ट्रेनिंग एवं रिपोर्ट जेनरेशन एवं नियंत्रण तथा निगरानी का कार्य भी विद्याभारती संगठन देखेगा।
 आगे दो आयामों पर कार्य करना है।
1. विद्यालय असेस्मेन्ट(मूल्यांकन) उपयुक्त/अनुपयुक्त कैसा रहा ?
2. मास्टर ट्रेनर की असेस्मेन्ट प्रक्रिया में क्या भूमिका है ? 
Restrpection &
(a)  Actual assessement Experiences .
(b)  Insight learing.
(c)  Dtawbacks/loopholes.
(d)  Opportunities and theats
(e)  What next vkus okys le; esa D;k djuk gS \
1-   Practical experience   
2-   Clearity of system
3-   Application in school of m.p.

4-   New insight uohu n`f"V

 विशेष - अवरोध:-
1. निरीक्षण एवं अवलोकन की दृष्टि के कारण विद्याभारती के विद्यालयों में असेस्मेन्ट दृष्टि स्थापना में कठिनाई आ रही है।
2. एस.ओ.पी. (मानक संचालन प्रक्रिया) का प्रशासन में क्या महत्व है। इसे अनदेखा किया जा रहा है।
3. विद्यालयों में विद्यार्थी, अभिभावक एवं शिक्षक के दो माईन्डसेट है। एक वर्ग चुनचुनकर विद्यालय की कमियां बताता है, शायद सुधार हो जाय। शिक्षक अपनी कमियां छुपाता है ताकि उसकी सी.आर(चरित्रावली) में यह शामिल न हो जाय।
4. प्रश्नावली विकसित करने का पक्ष कमजोर है, इसे विकसित करने की जरुरत है।
5. असेस्मेन्ट एस.एम.एफ. के हिन्दी भाषा उपकरणों में उपयुक्त व्यवहारिक भाषा नहीं है। गूगल अनुवाद है।
 विद्याभारती के प्रबल पक्ष:-
1. विद्याभारती संगठन का सामाजिक सम्पर्क महत्वपूर्ण है।
2. विद्याभारती में प्रेम, स्नेह, सम्मान, समर्पण की भावना प्रधान है।
3. संघ दृष्टि से संचालित संगठन विद्याभारती संवेदना निर्मित करने वाली शिक्षा दे रही है। यह छात्र पीढ़ी को यंत्रवत् नहीं रखना चाहती ।
4. इसमें कमजोर इनपुट को भी सही प्रोसेस से उपयुक्त आउटपुट एवं आउटकम के रुप में तैयार किया जाता है।
5. विद्याभारती में गुणवत्ता तो पहले से ही मौजूद है, देखने का नजरिया चाहिए।
 समाधान परक बातें:-
 यूरोप में असेस्मेन्ट को । ।बंकमउपब ंनकपज के रुप में स्वीकार किया गया है। यह महत्व शिक्षण एवं मूल्यांकन को मिलना ही चाहिए।
 यदि हम विद्याभारती के दार्शनिक पक्ष एवं गुणवत्ता, नियमावली को देखें तो ैम्ैफ तंत्र अनुरुप गुणवत्ता पहले से दिखायी देती है, इसे पहिचानने का नजरिया चाहिए।
 विद्याभारती का नियमित निरीक्षण एवं अवलोकन यथावत् चलता रहना चाहिए। असेस्मेन्ट प्रक्रिया भी पृथक से चलना चाहिए।
  ैम्ैफ असेस्मेन्ट तंत्र अन्तराष्ट्रीय अपेक्षाओं के अनुरुप बना प्रामाणिक एवं विश्वसनीय तंत्र है।
 निरीक्षण एवं अवलोकन का दृष्टिकोण असेस्मेन्ट एवं सुधार एवं मार्गदर्शन पृथक-पृथक दृष्टिकोण हैं।
 सिंहावलोकन एवं मानक पुस्तिका में दो तरह के ैजंदकंतके प्रयुक्त होते है -
1. च्तमेबतमचजपअम ैजंदकंतके - पूर्व निर्धारित मानक
2. त्मबवउवदकमक ैजंदकंतके  - सुझाावात्मक मानक
उदाहरण - ऐसा हो सकता है   - लिखना है 
          ऐसा होना चाहिए, यह नहीे लिखना 
  संदर्भ होने पर अपेक्षा की जा सकती है।
 मानव के लिए ैजंदकंतक प्रायः त्मबवउवदकमक होने चाहिए।
 मशीन एवं उत्पादन के मानक च्तमेबतपचजपअम हो सकते हैं।
 असेसर्स के रुप में उत्तर हां या न में नहीं देना विवरण लिखना है।
 विद्याभारती समाज सम्पर्क पर विशेष ध्यान देती है।
 प्रेरणात्मक संदर्भ संस्था के हिसाब से तय होने चाहिए।
 क्वालिटी के पांच स्तर हैं। एक विद्यालय प्रथम स्तर पर तो दूसरा पांचवे स्तर पर भी हो सकता है।
 प्रत्येक विद्यालय निरीक्षण एवं अवलोकन के सभी अपेक्षित बिन्दु तो पूरे करे ही असेस्मेन्ट का हिस्सा भी बनें।
 व्अमतअपमू ’’ पुस्तिका एक ळनपकमसपदम है दार्शनिक पक्ष पर न जाँयें तो प्रत्येक ैजंदकंतके को संस्था के हिसाब से देखे।
 विशेष सुझाव:-
1. विद्याभारती योजना को सरल रुप में समझने हेतु 5जी ।तमं के रुप में जोड़ने पर भविष्य में विचार हो सकता है। असेस्मेन्ट में च्तवबमेे के साथ-साथ च्तवपिसम को भी जोड़ा जाना चाहिए। रिपोर्ट भी सुझावात्मक है, अंतिम निर्णय नही है। कोई असेसर दो दिवस में अपना अभीष्ट व्नजचनज नहीं देख सकता । जो दिखेगा उसी का असेसर असेस्मेन्ट करेगा, जो नहीं दिखता उसका ।ेेमेेेउमदज नहीं होगा।
2. कक्षा में रीडिंग काॅर्नर भी ग्रंथालय के अभाव को दूर कर सकता है।
3. अभिलेख प्रमाण भी विशेष प्रकार का अवलोकन है।
4. आचार संहिता ब्वकम व िबवदकनबज का पालन देखना, लिखा नहीं है पर पालन हो रहा है। इसे महत्व देना।
5. शासकीय विद्यालयों का अभिलेखकीकरण बहुत अच्छा हेाता है पर व्यवहार में उतना नहीं दिखता।
6. स्वविवेक से निर्णय कर अभिलेख देखना।
7. व्नजचनज चाहिए तो दस्तावेजों को अधिक महत्व न दिया जाए।
8. म्कनबंजपवद ेमबजवत में ंबंकमउपब स्तर भी अनेक दृंिष्टकोण हो सकते हैं। अलग-2 नजरिये से असेस्मेन्ट हो सकता है दोनो ब्वउचसमउमदजवतल हो सकते हैं।
9. ठश्रै . ।ेेमेेउमदज ेलेजमउ ैनइरमबजंइसम है जबकि ैडथ् ।ेेमेेउमदज ैलेजमउ च्तमेबतपचजपअम एवं वइरमबजपअम है।
10. विविध प्रकार की प्रश्नावलियाँ भरवाने की उपयोगिता ।दंसलजपब होनी चाहिए। ैलेजमउ में इसे भी उपयोग करना चाहिए। 
11. गुणवत्ता मूल्यांकन में क्षेत्रानुसार कठिनाई स्तर को कम कर रिपोर्ट जेनरेट कर शेयरिंग भी जल्दी करना चाहिए।
 ॅींज दमगज - श्री केदार तापीकर (पुणे) - आने वाले समय में निम्न कार्य प्राथमिकता के साथ करके आगें बढ़ना होगा।
1. ब्वदजमदज कमअमसवचउमदजण्
2. ।ेेमेेवते जतंपदपदह चतवहतंउउम ;।ज्च्द्ध
3. ैवजिूंतम उंपापदह ;डनसजपेजमचे ेवजिूंतमद्ध
4. त्मचवतज ेींतपदह चतवबमेे ;त्ण्ैण्च्ण्द्ध
5. ब्मदजतंस जमंउ वितउंजपवद
6. ।ेेमउमदज च्तवबमेे
7. थ्वससवू नच व िेबीववसेण्
8. ज्तंदेसंजपवद व िपदेजतनउमदज पद तमहपवदंस संदहनंहम
9. बवउउवद ेलेजमउ वितउंजपवद व िअपकलंइींतजप ;ब्मदजतंससलद्ध
10. ।बीपमअउमदज जपसस कंजमण्
11. ।सपहदउमदज ूपजी अपकलंइींतजप च्ीपसवेवचील
 विद्याभारती वर्तमान मे ैडथ्.ैम्ैफ के एक्सपर्ट की मदद से कुछ दिनों तक त्मचवतज बतमंज करे बाद में स्वतंत्र ंहमदबल के रुप में कार्य के बारे में भी विचार कर सकती है।
 विशेष सुझाव:-
(1) विद्याभातरी की शब्दावली की मैचिंग व्अमतअपमू ेजंदकंतके ैम्ैफ के साथ करने के उपरान्त पृथक निर्देशिका जारी की जा सकती है। यह निर्देशिका ।ेेमेेवते मूल्यांकनकर्ता के साथ रहे। ैडथ् टीम के पास भी रहे। विद्यालयों केा भी इसे उपलब्ध कराया जा सकता है। इसे सामान्य रुप भी दिया जाना चाहिए।
(2) विद्यार्थी, शिक्षक, समिति का भी असेस्मेन्ट हो सकता है, यह हमें देखना है कि किसका असेस्मेन्ट करना है या नहीं करना है।
आलोक:- असेस्मेन्ट (मूल्यांकन) प्रक्रिया के प्रत्यक्ष या परोक्ष भागीदारी विद्यालय का व्यक्ति पूर्ण अध्ययन उपरान्त और भी बहूमूल्य सुझाव विद्याभारती मध्यभारत प्रांत केा भेज सकते हैं। आने वाले तीन वर्षो सत्र 2017 से 2019 तक के लिए अपने गुणवत्ता स्तर के सुधार की व्यवहारिक योजना बनाकर आगे बढ़े। शिक्षा में गुणात्मक सुधार से ही राष्ट्र के मूलभूत ढाँचें में अपेक्षित परिवर्तन आयेगा। और समर्थ शिक्षा तंत्र से समर्थ एवं शक्तिशाली राष्ट्र एवं समाज का निर्माण हेागा।


 इस बैठक में निम्न महानुभाव का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
1. श्री अविनीश भटनागर - राष्ट्रीय मंत्री, विद्याभारती
2. श्री गोविन्द महन्त - क्षेत्रीय संगठनमंत्री उड़ीसा क्षेत्र
3. सौ. मीनल बहिन - कार्यकारी निदेशक, एस.एम.एफ.पुणे महाराष्ट्र
4. श्री केदार तापीकर - (समन्वयक, एस.एम.एफ-विद्याभारती)



संदर्भ - कटक बैठक, मार्च 2017
           संकलनकर्ता - राजेन्द्र सिंह परमार
  (प्रशिक्षण - निदेशक, भोपाल)
 



 कटक(उड़ीसा) बैठक निर्णय प्रस्ताव
1. ैडथ्.ैम्ैफ की प्रक्रिया अभी विद्याभारती के विद्यालयों में यथावत चलनी चाहिए।
2. आवश्यकतानुरुप 6 माह में सुधारात्मक विचार हो सकता है।
3. जिन विद्यालयों में इस सत्र विद्याभारती का निरीक्षण एवं अवलोकन हो उनका असेस्मेन्ट न किया जाय। जिन विद्यालयों का इस सत्र असेस्मेन्ट हो उनमें निरीक्षण न हो।
4. निरीक्षण एवं अवलोकन में ैडथ्.ैम्ैफ असेस्मेन्ट की प्रगति हेतु निगरानी(माॅनीटरिंग) अनिवार्य हो।
5. आदर्श विद्यालयों का अवलोकन पृथम हो-निरीक्षण न हो।
6. असेस्मेन्ट की रिपोर्ट शेयरिंग प्रक्रिया को एक माह में पूरा कर लिया जाए।
7. ैम्ैफ असेस्मेन्ट कर्मकाण्ड नहीं बनना चाहिए। यह हमारा ही शिक्षा गुणवत्ता मूल्यांकन तंत्र है। इसकी प्रमाणिकता बनाये रखी जानी चाहिए।
मध्यक्षेत्र से केन्द्रीय ैडथ्.ैम्ैफ विद्याभारती रिपोर्ट शेयरिंग टीम में श्री राजेन्द्र सिंह परमार भोपाल को अधिकृत किया गया है। तकनीकि सहायक के रुप में श्री संकल्प दुबे, जबलपुर रहेगें।
अभी देशभर के 300 विद्यालयों का असेस्मेन्ट हुआ है।  इस सत्र 700 विद्यालयों का और मूल्यांकन होगा। आने वाले समय में सभी 12000 विद्यालयों का असेस्मेन्ट करना है। मध्यभारत में 45 विद्यालयों का मूल्यांकन हुआ है। 20 विद्यालयों की रिपोर्टशेयरिंग शेष है। इस सत्र शेष 35 विद्यालयों का असेस्मेन्ट पूर्ण करना है। प्रांत अनुरुप दिशानिर्देश वाद में प्राप्त होगें।
 ‘‘ जो मनीषी है वो हमारे हितैषी हैं। जो हितैशी है वे सब मनीषी नहीं है ’’
- अविनीश भटनागर(राष्ट्रीय मंत्री)
शिक्षा के मूलतत्व में उद्देश्य एवं लक्ष्य दो बातों पर विशेष जोर दिया गया है। उच्च शिक्षा हमारा उद्देश्य है। लक्ष्य पड़ाव है जो परिवर्तनशील हो सकते हैं। उद्देश्य शास्वत है।
हमारा उद्देश्य असेस्मेन्ट नहीं, कार्य का विकास एवं विस्तार है। ैम्ैफ का प्रमाणिकता से विचार कर आगे बढ़े।
हमारी रिपोर्ट प्रोत्साहित करने वाली होनी चाहिए। शब्दों का ठीक चयन कर असेसर्स रिपोर्ट भरें। सर्व सम्मति से ैम्ैफ चलेगा। तकनीकि सहयोग एवं परामर्शन ैडथ् पुणे से मिलेगा। अभिलेख एवं साहित्य की अपनी उपयोगिता है। इसका समुचित उपयोग हो।पढ़ने योग्य लिखा जाय एवं लिखने योग्य किया जाए।
- अविनीश भटनागर(राष्ट्रीय मंत्री)
।ैैम्ैैडम्छज् . मास्टर ट्रेनर तैयारी
1. ।े ं उंेजमत जतंपदमतए स्लाइड को पी.पी.पी. (च्वूमत च्वपदज च्तमेमदजंजपवद) आधारित समझना चाहिए।
2. किस स्लाइड को कितना समय देना, कब छोड़ना आना चाहिए।
3. प्रशिक्षण किस प्रकार संपादित करना, यह आना चाहिए।
4. तीन-तीन के समूह में अभ्यास करना चाहिए।
5. पांच दिवस की ट्रेनिंग व्यवस्थित कराना।
6. अंतिम दो दिवस मूल्यांकन डेमो करवाना एवं रिपोर्ट उपकरण भरवाना तथा जमा करवाना।
 ।ेेमेेवते ट्रेनिंग का प्रथम दिवस -
1. असेसर्स के लिए एक प्रारम्भिक परीक्षण करना (प्रमाणीकरण परीक्षा)।
2. प्रशिक्षार्थियों को ैडथ्.ैम्ैफ साहित्य सामग्री वितरण करना।
3. अभ्यास लेना, क्यों लेना है यह जानना।
4. 4 दिवस ट्रेनिंग, 1 दिवस ग्रुप लर्निग वार्तालाप को देना एवं अंतिम 2 दिवस डेमो असेस्मेन्ट चलित विद्यालय का कराना।
5. एक विद्यालय में एक ओहवजर्बर, एक मुख्य असेसर एवं एक सहायक असेसर रहना चाहिए।
6. असेसर 20 वर्ष से 50 वर्ष वाले शिक्षक  हो सकते हैं।
7. ट्रेनी मूल्यांकन शीट (म्अंसनजपवद ेीममज ) भरना।
8. सोफ्टवेयर का उपयोग कैसे करना ?
9. 10 स्टेप्स रिपोर्ट कैसे निकालना (ळमदमतंजम ) करना ?
10. संदर्भ सामग्री में महत्वपूर्ण थ्वसकमत ंकक े करना जैसे -
1. शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 - आर.टी.ई.
2. न्छप्ब्म्थ् संगठन परिचय।
3. नवीन शिक्षा नीति - म्कनबंजपवद चवसपबल
4. त्ज्प् मजदूर अधिकार - सूचना अधिकार।
5. न्यालय निर्णय काॅपी ।
11. महत्वपूर्ण वीडियो एड करना - ।तअपदक हनचजं जवले
12. रिपोर्ट सेम्पल एवं एक्शन पाॅइंट भी देखना।



 ज्तंपदमते ैापसस पदबतमेेपदह ण्
क्ंल 1ेज जव 4जी  .
ज्ीमवतल . क्पेबनेेपवद वद बवदजमदज . 30 उ
च्तंबजपबम . ।बजनंस चतंबजपबम ेमेेपवद . 60 उ
न्दकमत ेजंदकपदह ।ज्च् ;।ेेमेेवत ज्तंपदपदह च्तवहतंउमद्ध
ैीमकनसम .
4.5 कंले . ज्ीमवतल कपेबनेेपवद
3 कंले चतंबजपबंस ;।बजनंस सपअम ंेेमेेउमदजद्ध
 ब्वदजमदज
।बजपअपजपमे
म्गमतबपेम
म्गंउपदंजपवद
टपकमवमे ंदक ेसपकमेीवू
ज्तंपदमतश्े छवजमे
4 कंले जतंपदपदह ेीमकनसम पर्याप्त  है।
विद्याभारती प्रशिक्षण संरचना से  हटकर कुछ चीजें ैम्ैफ ट्रेनिंग में है।
व्इरमबजपअम .
;।द्ध ब्वदबमचज व िेीबववस ंेेमेेउमदज
;ठद्ध न्चहतंकपदह ादवूसमकहम समअमस व िेीबववस
















कार्यशाला का समय विभाजन
प्रथम दिवस
(6 घंटे) - प्रातः 9 से सायं 5ः30 बजे तक (4सत्र)
                        व्दम वितउंस ेमेेपवद . म्गमतबपेम
; 9रू00 जव 10रू30द्ध ए ;11रू00  जव  12रू30द्धए ;2रू00 जव 3रू30द्ध ए ;4रू00 जव 5रू30 द्ध
ैसपकम ;25 ेसपकमद्ध
1. स्वागत, सहभागी परिचय, एस.एम.एफ परिचय।
2. उद्देश्य निर्धारण।
3. पाठ्यक्रम पूर्णतः - प्रमाणीकरण की जरुरतें।
4. प्रशिक्षार्थियों से अपेक्षा।
5. मूल्यांकन - निवेश, प्रक्रिया, उपज (प्दचनज.च्तवबमेे.व्नजचनज)
6. शाला मूल्यांकन क्या है ? परिभाषा।
7. शाला मूल्यांकन की आवश्यकता।
(अ) अधिकारी के लिए
(ब) शाला के लिए
(स) पालक जनता के लिए।
8. शाला गुणवत्ता - विभिन्न दृष्टिकोण प्रतिष्ठा, प्रक्रिया, पाठ्यचर्या, परिणाम, चयन।
9. शाला गुणवत्ता में योगदान देने वाले पहलू ।
  प्दचनज.च्तवबमेे.व्नजचनज त्र फनंसपजल ब्वदजतवस करता है।
10. निवेश - सीखने वाले के अभिलक्षण - आहार, लिंग, आयु, माता-पिता, आर्थिक        स्थिति आदि।
11. सहायक निवेश - आन्तरिक व वाह्य रिपोर्ट ।
12. शाला हित धारक (ैजंामीवसकमत) समिति, शिक्षक, छात्र कर्मचारी, पालक।
13. प्रक्रिया (रिजल्ट) - उपज, उपलब्धि, प्रभाव। ;वनजचनजए वनज बवउमए पदचंबजद्ध
14. स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता, 5 पहलू ।
    न्दपबम ि2000ए न्दमेबव . 2003 ए तमचवतज 
प्रायः शिक्षण की गुणवत्ता-छात्र के अध्ययन का परिणाम मानी जाती है।
प्रक्रिया गुणवत्ता - दक्षता, श्रेष्ठता, अपक्षपात (सामाजिक) ।
- ‘‘ स्वयं डाक्टर बनना कठिन है, डाक्टर के पास जाकर दवा लेकर समाधान आसान है।’’
16. ैडथ् भाग-2 के उद्देश्य परिचय, स्कोप, ढांचा, मानक सामान्य परिचय।
17ण् ैडथ्.ैम्ैफ क्या है ?
(अ) वैश्विक सोच (ब) राष्ट्रीय शिक्षा नीति (स) वास्तविक परिचय पर आधारित
18. शाला में क्या मूल्यांकन करे? क्या-2 देखना चाहिए। उत्तर ब्वतमसंजमक करना -
    संसाधनों का अधिकतम उपयोग।
19. क्षेत्र - ैबवचम व्याप्ति - 04
;ंद्ध ळवअमतदंदबम
;इद्ध ।कउपदपेजतंजम
;बद्ध स्मंकमतेीपच
;कद्ध ज्मंबीपदह समंतदपदह
20. ढ़ांचा मूल्यांकन मापदण्ड-12 संकेतक 40, मूल्यांकन क्षेत्र- 4
21. प्रक्रिया घटक - शासन प्रशासन, नेतृत्व, अध्ययन-अध्यापन
   (प्रबन्धन स्तर, विद्यालय स्तर, कक्षा स्तर)
22. शाला मूल्यांकन कैसे करें? दृष्टिकोण मानक ैजंदकंतक क्यों ?
23. मानक विशिष्टता - संख्यात्मक, गुणात्मक, त्ज्म् आधारित।
24. स्त्रोत, रचना, विवेचना, उपयोग, मानक सर्वस्वीकार्य। (दायरे के वाहर नहीं जाना)
25. ज्ींदालवन - धन्यवाद - छोटा सा म्गमतबपेम कराना।
26. समय बचने पर होमवर्क देना, पूंछतांछ कराना।
27. 5ः30 बजे तक का पूरा समय परिणामकारी हो।
आलोक:- प्रथम दिवस समाप्ति पर सिंहावलोकन एवं मानक पुस्तिका - प्रशिक्षार्थी को यहाँ स्वाध्याय हेतु वितरित करना होगी। स्टैण्टर्ड पढ़ना।












द्वितीय दिवस
द्वितीय दिवस से सिंहावलोकन एवं मानक पुस्तिका को रेफर करना होता है। एक दिन में प्रशिक्षार्थी बहुत अधिक नहीं समझेगें।
स्लाइड:-
1. प्रथम दिवस की पुनरावृत्ति- कार्यपद्धति, मूल्यांकन, उपकरण।
2. प्रणाली का आरंभ - विद्यालय में दो दिवस$1दिन उपकरण भरना।
  (रिपोर्ट 90 दिन के स्थान पर 30 दिन में देना)
3. कार्यपद्धति - डेटा संग्रह विश्लेषण ।
4. विशेषज्ञ मूल्यांकन का महत्व - प्रशिक्षार्थी से हाॅ या न उत्तर का कारण
  अवश्य जानना।
5. विशेषज्ञ मूल्यांकन पूर्व आवश्यकताऐं - ट्रेनिंग हुआ पर नहीं समझा ऐसा
  नहीं चलेगा।
6. भाग - 4 के उद्देश्य - शासन, प्रशासन, नेतृत्व, अध्ययन-अध्यापन।
7. शाला शासन के लिए कौन जिम्मेदार-शाला परिषद, ैडब् ट्रस्ट ।
8. शाला एक दृष्टि में - 3 पैरामीटर, 10 संकेतक समझना (1घण्टा)
9. शासन के मानक- क्षेत्रशः कुल 139 हैं।
10. शाला प्रशासन के घटक ।
11. प्रशासन एक दृष्टि में - 3 पैरामीटर, 10 संकेतक एवं मानक समझना।
12. नेतृत्व एक दृष्टि में - नेतृत्व का स्थान क्या है ? स्मंकमेीपच ए 3
   पैरामीटर ए 10 संकेतक, मानक।
13. अध्ययन-अध्यापन एक दृष्टि में- 3 पैरामीटर, 10 संकेतक मानक।
14. स्थान-बीच में मानक पुस्तिका से सेम्पल चैकिंग 2 1/2 घण्टा ।
   रीडिंग कर समझाते जाना है। बच्चे स्वतः सीखते है।
15. एक दृष्टिकोण - टी.एल.एम दिखाना - यंत्रवत न हो।
    सामूहिक अभ्यास - प्रक्रिया क्षेत्रों के संकेतकों की पहिचान (30 मि.)
    मनोरंजन कारक हो -
16. प्रश्नावली- पैराग्राफ पढ़कर संकेतक से सम्बन्ध ढूँढना।
 भाग - 5
स्लाइड 15 - उद्देश्य - विद्यालय में मूल्यांकन के दो दिन।
प्रारम्भिक बैठक, अवलोकन, वार्तालाप, अभिलेख जांच।
17. प्रारम्भिक बैठक - प्रथम मूल्यांकन कर्ता$सह मूल्यांकन कर्ता की भूमिका (प्रेक्टिस)  आॅपनिंग मीटिंग मे क्या नहीं बोलना? 30 मिनट मे पूर्ण करना।
तृतीय दिवस
स्लाइड:-
1. द्वितीय दिवस की पुनरावृत्ति ।
2. विशेषज्ञ मूल्यांकन का क्रम
(अ) अवलोकन
(ब) वार्तालाप
(स) जांच
(द) समापन बैठक
3. मूल्यांकन कर्ता के कौशल - अवलोकन
 किसका अवलोकन, क्या, कैसे, क्यों अवलोकन करना।
4. शाला का अवलोकन (भ्रमण करते हुए क्या-क्या देखना)
1. परिसर   2.कक्षाऐं    3. विशेष कक्ष    4.स्वच्छता आदि
5. उपयोगिता स्तर - बुनियादी ढाँचे एवं सुविधाओं की उपयोगिता,
  कार्यक्षमता, गुणवत्ता एवं पर्याप्तता की जांच करना।
6. म्गमतबपेम - दो दो के दल में स्थान पर भेजकर अवलोकन गतिविधि कराना।
(अ) कार्य क्षमता (ब) गुणवत्ता (स) उपयोगिता/पर्याप्तता
इन शब्दों पर अधिक समय तक चर्चा कराना है। मानव संसाधन की जीवंतता एवं सकारात्मकता परखना।
कब देना:- असेसर मैन्युअल देखने को कहना। असेसर डायरी पहले देना।
7. फोटोग्राफ्स दिखाना - अलग-2 विद्यालय के विद्या भारती विद्यालय के मुख्य द्वार, भवन देखना।
8. चर्चा परिसर दौरे के समय आचरण।
9. निरीक्षण करना- अवलोकन के समय आचरण विनयपूर्ण, सरल तटस्थ एवं सम्पूर्ण हो।
10.डेमो असेसर्स डायरी-जो भी देखना उसको याद रखना। अवलोकन, वार्तालाप, प्रमाण के बारे में लिखना।
यह बहुत विचार कर बनायी गयी ताकि कोई बिन्दु न छूटे।
11. प्रमाणों की जांच-कानून, नियम, अधिनियम, विनिमय, शपथपत्र, प्रमाणपत्र, सदस्य सूची, पुरुस्कार, करार, एस.ओ.पी. नीति दस्तावेज, सामान्य अभिलेख।
12. समूह अभ्यास - 10 मिनट 3 समूहों में दस्तावेज देना: यह प्रमाण क्या है ? इससे क्या पता चलता है ?
13. वार्तालाप - अभिभावक, छात्र, शिक्षक, ैडब्, शाला प्रमुख, कर्मचारी गण। सर्वश्रेष्ठ प्रणाली प्रपत्र भरवाना।
14. वार्तालाप का उद्देश्य - सहभागिता, जागरुकता, चिन्ता, समाधान आदि।
15. वार्तालाप का संचालन - अनुमति लेना, पारदर्शिता।
16. वार्तालाप के मूल तत्व - विनम्रता, स्पष्टता, प्रश्नश्रंखला, स्त्रोत (सुनने को अधिक समय देना)
17. वार्तालाप प्रश्नो के प्रकार - ओपन एंडिड, क्लोज एंडिड, प्रोविंग, फनल तकनीकि, लाईव डेमो-अभ्यास । प्रोविंग - गहराई से जांच पड़ताल
18. प्रश्न पूंछने के तरीके-उदाहरण फनेलिंग एवं प्रोविंग परिस्थिति-म्गमतबपेम
19. प्रश्न पूंछना एककला है - कम प्रश्नो में अधिकतम निकालना।
20. समूह अभ्यास - पर्ची देकर, फनेलिंग एवं प्रोवंग प्रश्न निकलवाना।
21. मूल्यांकनकर्ता भूमिका निभाना - असेसर, सह असेसर (24 घण्टे)  ।
22. समापन बैठक- विशेषज्ञ उपकरण, सर्वश्रेष्ठ प्रणाली भरवाना।
    (सुधार क्षेत्र की ही चर्चा करें असेसर डायरी आधार बनाकर)
23. धन्यवाद! नमस्कार - विदा लेना।






 चतुर्थ दिवस
स्लाइड:-
1. तृतीय दिवस पुनरावृत्ति - अधिक फोकस करना।
2. मूल्यांकन भेंट - विवरण-प्रारम्भिक बैठक, समापन बैठक।
3. विशेषज्ञ उपकरण भरने का कौशल।
(अ) तर्ककुशलता   (ब) विश्लेषण   (स) अनुमान    (द) पुष्टिकरण
4. अभ्यास - प्रक्रिया मानकों को पहिचानना।
5. रिपोर्ट लिखना - विविध घटकों पर टिप्पणियां, फनंसपसंजपअम श्रेणी करण।
  सर्वश्रेष्ठ प्रणाली-लिखित प्रमाण।
6. सर्वश्रेष्ठ आचरण - 4 स्तरों पर सटीक हो।
7. विशेषज्ञ उपकरण भरना - ।एठएब्एक्एम्ए श्रेणी।
8. एक्सपर्ट रेटिंग - डेमो अभ्यास, संकेतक आधार।
9. सर्वश्रेष्ठ कार्य प्रणाली - स्वयं सुधार, आदान-प्रदान, अन्य विद्यालय सहयोग राज्य स्तर पर स्वीकार्य। 
10. रिपोर्ट कैसे लिखना ?
(अ) सामान्य रिपोर्ट 7-8 पेज।
(ब) एक्शन पोइन्ट रिपोर्ट - 50-70 पेज।
 बहुस्तरीय रिपोर्ट - विद्यालय, संकुल, जिला, प्रंात स्तर पर भी मिलाकर लिखी जाती है। यह 30 दिवस में एस.एम.एफ साॅफ्टवेयर से तैयार कर सम्बन्धित शाला को असेसर द्वारा शेयर की जाती है। प्रगति की सतत निगरानी कर गुणवत्ता सुधार होता है।






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